Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi | जैव विविधता (Biodiversity) Free PDF Notes Download

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi – जैव विविधता (Biodiversity) के इस पोस्ट में हम आपको NCERT आधारित, सरल, स्पष्ट और परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी संपूर्ण नोट्स प्रदान कर रहे हैं। ये नोट्स विशेष रूप से CBSE, Bihar Board, UP Board तथा अन्य राज्य बोर्डों के हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए हैं, ताकि वे इस अध्याय की हर अवधारणा को आसान भाषा में समझ सकें और बोर्ड परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त कर सकें।

इस अध्याय में हमने जैव विविधता की परिभाषा, महत्व, सजीवों के वर्गीकरण की आवश्यकता, तथा जीवों के बीच पाई जाने वाली विविधता को वैज्ञानिक रूप से समझने के सभी पहलुओं को विस्तार से शामिल किया है। इसके अंतर्गत आप सीखेंगे – लिन्नियस द्वारा प्रस्तावित द्विनाम पद्धति, वर्गीकरण के पदानुक्रमीय स्तर (जाति, वंश, कुल, क्रम, वर्ग, संघ/फाइलम, साम्राज्य), तथा रॉबर्ट व्हिटेकर की पंच-जगत प्रणाली, जिसमें मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाइ, प्लांटी और ऐनिमेलिया का विस्तृत अध्ययन कराया गया है।

इसके अतिरिक्त अध्याय में शामिल है — विभिन्न जगतों की मुख्य विशेषताएँ, उदाहरण, उनके बीच समानताएँ–अंतर, थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म के उपविभाग, तथा कॉर्डेटा और नॉन–कॉर्डेटा के प्रमुख लक्षण। साथ ही, आप समझेंगे कि वैज्ञानिकों ने सजीवों को वर्गीकृत करने के लिए किन–किन आधारों का उपयोग किया और यह वर्गीकरण जीवों के अध्ययन को कैसे सरल बनाता है।

हर विषय को सरल भाषा, महत्वपूर्ण बिंदुओं (Key Points), उदाहरणों, तथा परीक्षा-उपयोगी व्याख्याओं के साथ प्रस्तुत किया गया है, ताकि विद्यार्थी इस अध्याय को बिना किसी कठिनाई के समझ सकें। यह नोट्स उन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है जो Class 9 Biology Chapter 3 – जैव विविधता को सबसे आसान तरीके से सीखना चाहते हैं और अपनी परीक्षा तैयारी को मजबूत बनाना चाहते हैं।

यदि आप इस अध्याय को एक बार में अच्छी तरह समझना चाहते हैं और Board Exam में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना चाहते हैं, तो यह Free Hindi Notes व PDF Download आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त अध्ययन सामग्री है।
अभी डाउनलोड करें और अपनी तैयारी को अगले स्तर पर ले जाएँ।

Table of Contents

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi 

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi
BoardBihar School Examination Board (BSEB)
TextbookNCERT
ClassClass 9th
SubjectScience (Biology)
Chapter No.Chapter 3
Chapter Nameजैव विविधता (Biodiversity)
CategoryClass 9th Science Notes in Hindi
MediumHindi

जैव विविधता (Biodiversity)

किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में उपस्थित जीव–जंतुओं और पौधों की विभिन्न जातियों की समृद्धता तथा विविधता को जैव विविधता कहा जाता है। किसी स्थान पर जितनी अधिक प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, वह स्थान जैव विविधता के दृष्टिकोण से उतना ही समृद्ध माना जाता है।

जीवों में पाई जाने वाली इस विशाल विविधता के कारण उनके अध्ययन, पहचान, वर्गीकरण तथा आपसी संबंधों को समझने में कठिनाई होती है। इन्हीं कठिनाइयों को दूर करने और अध्ययन को व्यवस्थित बनाने के लिए जीवों का वर्गीकरण आवश्यक होता है।

इसी आधार पर सन 1758 में कर्ल लीनियस (Carolus Linnaeus) ने सभी सजीवों को दो प्रमुख साम्राज्यों में विभाजित किया—

  • जंतु साम्राज्य (Animal Kingdom)
  • पादप साम्राज्य (Plant Kingdom)

वर्गीकरण (Classification)

सजीवों के अध्ययन में सुविधा बनाए रखने के लिए उन्हें उनके गुणों, बनावट, संरचना, जीवन–क्रिया और आपसी साम्यता के आधार पर अलग–अलग समूहों, वर्गों और उपवर्गों में बाँटने की प्रक्रिया को वर्गीकरण कहा जाता है। यह प्रक्रिया वैज्ञानिक अध्ययन को सरल, व्यवस्थित और सर्वमान्य बनाती है।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

वर्गिकी (Taxonomy)

जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत सजीवों के वर्गीकरण, नामकरण, पहचान और उनके वैज्ञानिक अध्ययन से संबंधित नियमों का अध्ययन किया जाता है, वर्गिकी (Taxonomy) कहलाती है।

इसी आधार पर—

  • पौधों का वर्गीकरण पादप वर्गिकी (Plant Taxonomy)
  • जंतुओं का वर्गीकरण जंतु वर्गिकी (Animal Taxonomy) कहलाता है।

वर्गीकरण का आधार (Base of Classification)

अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार, जीवों को उनके सामान्य लक्षणों, संरचना, अनुवांशिक गुणों और विकासवादी संबंधों के आधार पर अलग–अलग इकाइयों में वर्गीकृत किया जाता है।
इन इकाइयों में सबसे छोटी इकाई जाति (Species) है।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

पदानुक्रमणीय (Hierarchical) वर्गीकरण पद्धति

जब सजीवों को जाति, वंश, कुल, क्रम, वर्ग, संघ/फाइलम और साम्राज्य जैसे स्तरों में क्रमबद्ध तरीके से वर्गीकृत किया जाता है, तो इसे पदानुक्रमणीय वर्गीकरण कहते हैं।

यह पद्धति जीवों को सबसे छोटे स्तर (Species) से लेकर सबसे बड़े स्तर (Kingdom) तक वैज्ञानिक रूप से व्यवस्थित करने में मदद करती है।

वर्गीकरण की पंच जगत पद्धति (Pancha Jagat System of Classification)

सन 1969 ईस्वी में अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट व्हिटेकर (Robert Whittaker) ने सभी सजीवों को उनके पोषण के प्रकार, कोशिकीय संगठन, शरीर संरचना, पर्णहरित की उपस्थिति/अनुपस्थिति तथा जीवन–क्रियाओं के आधार पर पाँच प्रमुख जगतों (Kingdoms) में वर्गीकृत कर पंच जगत पद्धति का निर्माण किया।

इस पद्धति में पहले की दो-जगत प्रणाली (पादप व जंतु साम्राज्य) के स्थान पर पाँच जगत स्थापित किए गए, जिनमें—

  • जाति (Species)
  • वंश (Genus)
  • कुल (Family)
  • क्रम/गण (Order)
  • वर्ग (Class)
  • पादप के लिए Division (डिवीजन)
  • जंतुओं के लिए Phylum (फाइलम)

जैसी श्रेणियों का प्रयोग किया गया।

जाति (Species)

समान लक्षण वाले उन जीवधारियों का समूह, जिनके सदस्य आपस में लैंगिक जनन द्वारा उर्वर संतान (fertile offspring) उत्पन्न कर सकते हैं, जाति कहलाता है। 

यह वर्गीकरण की सबसे मूलभूत इकाई है।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

वंश (Genus)

आपस में मिलते–जुलते, समान विशेषताओं वाली तथा एक–दूसरे से संबंधित जातियों का समूह वंश कहलाता है। इसके अंतर्गत आने वाली सभी प्रजातियों में संरचनात्मक और प्राकृतिक समानताएँ पाई जाती हैं।

कुल (Family)

समान लक्षणों और संरचनात्मक विशेषताओं वाले कई वंशों के समूह को कुल कहा जाता है। यह वंश से एक उच्च वर्गीकरण इकाई है।

क्रम (Order)

समान गुणों वाले कई कुलों के समूह को क्रम (Order) कहा जाता है। इसमें उन कुलों को शामिल किया जाता है जिनमें कुछ प्रमुख समान विशेषताएँ होती हैं।

वर्ग (Class)

समान विशेषताओं वाले कई क्रमों के समूह को वर्ग (Class) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, स्तनधारी (Mammalia) एक वर्ग है।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

फाइलम/संघ (Phylum)

समान लक्षणों या संरचना वाले विभिन्न वर्गों के समूह को फाइलम (जंतुओं के लिए) तथा संघ (पौधों के लिए) कहा जाता है।

साम्राज्य (Kingdom)

फाइलम/संघों का विशाल समूह साम्राज्य कहलाता है। यह वर्गीकरण का सबसे उच्च एवं व्यापक स्तर है।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

द्विनाम पद्धति (Binomial Nomenclature)

वह वैज्ञानिक पद्धति जिसमें किसी भी पौधे या जंतु के वैज्ञानिक नाम में दो शब्दों का प्रयोग किया जाता है, द्विनाम पद्धति कहलाती है।

इस पद्धति की शुरुआत सन 1753 में स्वीडन के वैज्ञानिक कार्ल लीनियस ने की। उनकी पुस्तक Species Plantarum में इस प्रणाली का विस्तृत वर्णन मिलता है।

नामकरण के नियम:

  1. नाम के दो भाग होते हैं—
    • पहला शब्द वंश (Genus) को दर्शाता है
    • दूसरा शब्द जाति (Species) को दर्शाता है
  2. वैज्ञानिक नाम के अंत में उस वैज्ञानिक का संक्षिप्त नाम लिखा जाता है जिसने उस प्रजाति की खोज या नामकरण किया।

उदाहरण:

मानव (Human) का वैज्ञानिक नाम:
Homo sapiens Lin.

  • Homo → वंश
  • sapiens → जाति
  • Lin. → लीनियस का संक्षिप्त नाम

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

द्विनाम पद्धति का महत्व (Significance of Binomial Nomenclature)

  • यह पद्धति विश्व–भर में सर्वमान्य है।
  • भाषा परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए नाम हमेशा समान रहता है।
  • पौधों और जंतुओं की पहचान तथा वैज्ञानिक अध्ययन में यह प्रणाली अत्यंत सहायक है।
  • यह पद्धति भ्रम को दूर करती है और विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों के बीच एकरूपता बनाए रखती है।

1. प्रोटिस्टा (Protista)

एक–कोशिकीय यूकैरियोटिक सजीवों का समूह प्रोटिस्टा कहलाता है। ये वे जीव हैं जिनमें कोशिकीय संरचना विकसित प्रकार की होती है, परंतु ये बहुकोशिकीय जीवों जितने जटिल नहीं होते।

मुख्य लक्षण

  • इस समूह के अधिकांश जीवों में गमन के लिए सिलिया, फ्लैजेला या प्स्यूडोपोडिया (कृत्रिम पाद) पाए जाते हैं।
  • ये स्वपोषी (Autotrophic) एवं परपोषी (Heterotrophic) दोनों प्रकार के होते हैं।
  • अधिकतर जीव जलीय (Aquatic) होते हैं।
  • इनका शरीर एक–कोशिकीय होता है परंतु संगठन यूकैरियोटिक होता है।

उदाहरण

अमीबा, पैरामीशियम, यूग्लीना, एककोशिकीय शैवाल, डायटम आदि इस जगत के प्रमुख जीव हैं।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

2. कवक (Fungi)

कवक वे एककोशिकीय अथवा बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीव हैं जिनमें मृतजीवी (Saprophytic) पोषण होता है। ये मृत कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं और विघटन (Decomposition) की प्रक्रिया में सहायक होते हैं।

मुख्य गुण

  • इस समूह के अधिकांश जीव मृतजीवी होते हैं; कुछ जीव परपोषी या परजीवी भी पाए जाते हैं।
  • कुछ कवक अपने जीवन–चक्र के दौरान बहुकोशिकीय जंतु जैसी जटिलता प्राप्त कर लेते हैं।
  • इनके कोशिका भित्ति में काइटिन (Chitin) नामक जटिल शर्करा पाई जाती है।
  • कई कवक पौधों के साथ सहजीविता (Symbiosis) स्थापित करते हैं, जैसे लाइकेन (Lichen)।
  • इनमें क्लोरोफिल नहीं होता, अतः ये प्रकाश–संश्लेषण नहीं करते।

उदाहरण

यीस्ट, मशरूम, एस्पर्जिलस, पेनिसिलियम, एगेरिकस आदि इस समूह में अंतर्गत हैं।

3. प्लांटी (Plantae)

सभी हरे पौधों को मिलाकर बनाया गया साम्राज्य प्लांटी कहलाता है। इस समूह के अधिकांश जीव बहुकोशिकीय, यूकैरियोटिक तथा स्वपोषी होते हैं।

मुख्य विशेषताएँ

  • इन सजीवों की कोशिका भित्ति सेल्युलोज की बनी होती है।
  • इनमें पर्णहरित (Chlorophyll) की उपस्थिति के कारण ये प्रकाश–संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
  • पौधों की संरचना एवं विकास के आधार पर इन्हें कई उपवर्गों में विभाजित किया जाता है—
    • थैलोफाइटा (Thallophyta)
    • ब्रायोफाइटा (Bryophyta)
    • टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

A. थैलोफाइटा (Thallophyta)

वे स्वपोषी हरे पौधे जिनमें जड़, तना और पत्ती का वास्तविक विभाजन नहीं होता, थैलोफाइटा कहलाते हैं। इनका शरीर थैलस जैसा सरल होता है।

विशेषताएँ

  • ये पौधे प्रायः नम और जलीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • पर्णहरित की उपस्थिति के कारण ये स्वयं भोजन बनाते हैं।
  • इनके अंदर संवहन–बंधन (Vascular bundle) अनुपस्थित होते हैं।
  • जनन अंग प्रायः एक–कोशिकीय (Unicellular) होते हैं।
  • इस वर्ग में लगभग 25,000 प्रजातियाँ शामिल हैं।

उदाहरण

क्लेमाइडोमोनास, वोल्वोक्स, स्पाइरोगाइरा, यूलोथ्रिक्स, फ्यूकस आदि।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

B. ब्रायोफाइटा (Bryophyta)

हरे पौधों का वह समूह जो नम एवं छायादार स्थानों पर पाया जाता है, तथा जिनमें जड़ों के स्थान पर राइजोइड (Rhizoid) पाए जाते हैं, ब्रायोफाइटा कहलाता है।

विशेषताएँ

  • यह समूह जलीय एवं नम स्थानों पर उगता है।
  • इनमें जड़ जैसी तंतुवत संरचना राइजोइड पाई जाती है, जो इन्हें आधार से चिपकने में सहायता करती है।
  • इन पौधों में अल्प विकसित संवहन तंत्र पाया जाता है।
  • जनन अंग बहुकोशिकीय होते हैं।
  • इनमें पीढ़ी का एकान्तरण (Alternation of generation) पाया जाता है।
  • इस समूह में लगभग 25,000 प्रजातियाँ सम्मिलित हैं।

उदाहरण

रिक्सिया, मार्केंशिया, एंथोसेरस, पॉलिट्राइकम, फ्युनेरिया आदि।

C. टेरिडोफाइटा (Pteridophyta)

वे पौधे जिनमें वास्तविक जड़, तना और पत्ती पूर्णतः विकसित रूप में मौजूद होती हैं, टेरिडोफाइटा कहलाते हैं। ये सुषुप्त बीज (Spores) द्वारा जनन करते हैं।

विशेषताएँ

  • इसमें वास्तविक जड़, तना और पत्ती पाई जाती है।
  • इनमें पूर्ण विकसित संवहन तंत्र उपस्थित होता है।
  • इन पौधों में स्वतंत्र रूप से वृद्धि एवं विकास होता है।
  • पतियों के नीचे बीजाणुधानी (Sporangia) पाए जाते हैं, जिनसे बीजाणु बनते हैं।
  • निषेचन की प्रक्रिया में जल की आवश्यकता होती है।
  • इस वर्ग में लगभग 10,000 प्रजातियाँ शामिल हैं।

उदाहरण

सेलाजिनेला, इक्विसेटम, ट्रिडियम, सेरिस, एडियनटम आदि।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

नोट: थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा और टेरिडोफाइटा — इन तीनों को सम्मिलित रूप से ‘क्रिप्टोगैम्स (Cryptogams)’ कहा जाता है, क्योंकि ये बीज बनाने वाले पौधे नहीं होते।

D. जिम्नोस्पर्म (Gymnosperm)

जिन पौधों के बीज नग्न (बिना आवरण के) होते हैं, उन्हें जिम्नोस्पर्म या नग्नबीजी पौधे कहा जाता है। इनके बीज फल या किसी संरचनात्मक आवरण से ढके नहीं होते।

विशेषताएँ

  • यह पौधे अनावृतबीजी (Naked Seed Plants) होते हैं।
  • इन पौधों में वर्धक (Vegetative) प्रजनन सामान्य रूप से नहीं होता, इनका प्रमुख प्रजनन बीजों द्वारा होता है।
  • इनके पुष्प एकलिंगी होते हैं तथा सामान्य फूलों जैसी संरचना विकसित नहीं होती।
  • इनमें अनुकरण (Adaptation) की क्षमता सीमित पाई जाती है।
  • इनके तने में विकसित संवहन बंडल (Vascular bundle) पाए जाते हैं।
  • इस वर्ग में लगभग 5000 प्रजातियाँ शामिल हैं।

उदाहरण

साइकस, पाइनस, निटम आदि।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

E. एंजियोस्पर्म (Angiosperm)

वे पौधे जिनके बीज विशेष आवरण से ढके रहते हैं, एंजियोस्पर्म या आवृतबीजी पौधे कहलाते हैं।
इनके बीज फल के अंदर सुरक्षित रहते हैं और फूल पूर्ण विकसित रूप में पाए जाते हैं।

एंजियोस्पर्म के दो मुख्य समूह

1. एकबीजपत्री पौधे (Monocot Plants)

जिन पौधों के बीज में सिर्फ एक बीजपत्र (Cotyledon) पाया जाता है, वे एकबीजपत्री कहलाते हैं।

उदाहरण: बांस, घास की विभिन्न जातियाँ, गन्ना, धान, गेहूँ, जौ, पाम, केला आदि।

2. द्विबीजपत्री पौधे (Dicot Plants)

जिन पौधों के बीज में दो बीजपत्र (Two Cotyledons) पाए जाते हैं, वे द्विबीजपत्री कहलाते हैं।

उदाहरण: सभी प्रकार की दालें, आम, जामुन, सब्जियाँ, मसाले, कई फलदार वृक्ष आदि।

एंजियोस्पर्म की विशेषताएँ

  • इस वर्ग के पौधे वार्षिक, द्विवार्षिक या बहुवर्षीय हो सकते हैं।
  • इस समूह के कुछ पौधे बहुत लंबी आयु तक जीवित रहते हैं।
  • इन पौधों की ऊँचाई लगभग 1 mm से 100 m तक हो सकती है।
  • इनकी जड़ें आवश्यकतानुसार विभिन्न कार्यों के लिए रूपांतरित हो सकती हैं।
  • इस वर्ग के कुछ पौधे परजीवी, सहजीवी या कीटभक्षी (Insectivorous) भी होते हैं।
  • मादा जनन अंग के रूप में जायगॉट/अंडाशय (Ovule/Ovary) पाया जाता है जो बाद में बीज में विकसित होता है।

नोट: जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म—इन दोनों को मिलाकर ‘फेनेरोगेम्स (Phanerogams)’ कहते हैं, क्योंकि ये बीज बनाने वाले पौधे हैं।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

4. ऐनिमेलिया (Animalia)

वे सभी जीव जो विषमपोषी (Heterotrophic) होते हैं, जिनकी कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं होती, तथा जो साधारणतः गतिशील होते हैं, ऐनिमेलिया कहलाते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के सरल से जटिल जंतु शामिल हैं।

A. पॉरिफेरा (Porifera)

वे अत्यंत सरल जंतु जो चट्टानों या कठोर सतहों से चिपककर रहते हैं, पॉरिफेरा कहलाते हैं।

विशेषताएँ

  • ये जीव उपांगविहीन होते हैं।
  • इनके शरीर में त्रिज्या सममिति नहीं होती।
  • अधिकांश जंतु समुद्री होते हैं।
  • इनके शरीर पर छोटे-छोटे छिद्र ऑस्टिओल (Ostia) होते हैं।
  • इनके शरीर में एक देहगुहा होती है जिसे स्पॉन्जोसील (Spongocoel) कहते हैं।
  • ये प्रायः उभयलिंगी होते हैं, परंतु अलैंगिक जनन मुख्यतः मुकुलन (Budding) द्वारा होता है।
  • इस समूह में लगभग 5000 प्रजातियाँ हैं।

उदाहरण

यूस्पॉन्जिया, ल्यूकोसोलोनिया, साइकेन, स्पांजिला (मृदु जलीय स्पंज), हायलोनीमा आदि।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

B. सीलीन्ट्रेटा/निडेरिया (Coelenterata / Cnidaria)

वे समुद्री जंतु जिनके शरीर में त्रिज्या-सममिति पाई जाती है, सीलीन्ट्रेटा कहलाते हैं।

विशेषताएँ

  • यह प्रथम उत्तक-स्तरीय (Tissue-level) जीव समूह है।
  • इनके शरीर में दो कोशिकीय परतें होती हैं, इसलिए इन्हें डिप्लोब्लास्टिक कहा जाता है।
  • शरीर में एक ही गुहा होती है जिसे कोइलेंटेरॉन कहते 
  • शरीर के मुख के आसपास टेंटेकल (स्पर्शक) होते हैं, जिनसे भोजन पकड़ा जाता है।
  • कई जंतु झुंड (Colony) बनाकर रहते हैं।
  • इनके स्पर्शकों में निमैटोब्लास्ट कोशिकाएँ पाई जाती हैं जिनमें दंशक (Stinging cells) होते हैं।
  • इस समूह में लगभग 9500 जातियाँ पाई जाती हैं।

उदाहरण

हाइड्रा, ऑबेलिया, आरेलिए (जेलीफिश), एंथीडियम, पेनटुलाया, फाइसेलिया (पुर्तगाली योद्धा) आदि।

C. प्लेटीहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes)

वे चपटे आकार के कृमि जो मनुष्य या अन्य जीवों के शरीर में परजीवी रूप में रह सकते हैं, प्लेटीहेल्मिन्थीज कहलाते हैं।

विशेषताएँ

  • इनके शरीर में द्विपार्श्व सममिति (Bilateral symmetry) पाई जाती है।
  • उत्सर्जन के लिए पतली- पतली नलिकाएँ होती हैं।
  • पाचन नली सीधी या शाखित हो सकती है।
  • शरीर में देहगुहा (Coelom) अनुपस्थित होती है, इसलिए ये ऐकोइलोमेट होते हैं।
  • ज्यादातर जंतु द्विलिंगी होते हुए भी अलैंगिक जनन कर सकते हैं।
  • शरीर संरचना त्रिस्तरीय (Triploblastic) होती है।
  • इस समूह में लगभग 13,000 प्रजातियाँ मिलती हैं।

उदाहरण

डुगेसिया, लिवर फ्लूक, टीनिया सोलियम (टेपवर्म), प्लेनेरिया आदि।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

D. निमेटोडा / एस्केलमेंथीज (Nematoda / Aschelminthes)

जिन जंतुओं का शरीर लंबवत, बेलनाकार और गोलाकार होता है, वे निमेटोडा कहलाते हैं।

विशेषताएँ

  • शरीर द्विपार्श्व सममित तथा त्रिस्तरीय होता है।
  • इनके शरीर पर क्यूटिकल का कठोर आवरण होता है जिसे पाचक रस प्रभावित नहीं कर सकता।
  • इनमें श्वसन तंत्र और परिसंचरण तंत्र अनुपस्थित होते हैं।
  • ये जंतु प्रायः एकलिंगी होते हैं।
  • इनके पाचन तंत्र में दो छिद्र—मुख और गुदा (Complete digestive system) पाए जाते हैं।
  • इस समूह में लगभग 15,000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

उदाहरण

एस्केरिस (गोलकृमि), पिनवर्म, हुकवर्म, वुचेरिया, ट्राइकिनिया आदि।

E. ऐनेलिडा (Annelida)

वे खंडित शरीर वाले कृमि जिनमें वास्तविक देहगुहा (True coelom) पाई जाती है, ऐनेलिडा कहलाते हैं। इनके शरीर पर खंड स्पष्ट दिखाई देते हैं।

विशेषताएँ

  • यह जंतु प्रायः मृदु जल, समुद्री जल तथा नम मिट्टी में पाए जाते हैं।
  • इनके शरीर में बाह्य कंकाल (Exoskeleton) नहीं पाया जाता।
  • शरीर के प्रत्येक खंड में चलने के लिए सूक्ष्म संरचनाएँ होती हैं जिन्हें सिटी (Setae) कहते हैं।
  • इनके पाचन तंत्र, रक्त परिसंचरण तंत्र तथा उत्सर्जन तंत्र पूर्ण विकसित होते हैं।
  • तंत्रिका तंत्र के रूप में मस्तिष्क, तंत्रिका रज्जु और तंत्रिकाएँ उपस्थित होती हैं।
  • इस समूह में कुछ जंतु एकलिंगी तथा कुछ द्विलिंगी हो सकते हैं।
  • इस समूह में लगभग 9000 प्रजातियाँ सम्मिलित हैं।

उदाहरण

केंचुआ, नेरिस, जोंक, समुद्री चूहा (एक्रोकाइटा) आदि।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

F. आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)

जंतुओं का वह विशाल समूह जिनका शरीर सममित और खंडित होता है, आर्थ्रोपोडा कहलाता है। यह पृथ्वी पर पाए जाने वाले जंतुओं का सबसे बड़ा समूह है।

विशेषताएँ

  • इनके पैर खंडित और जोड़दार (Jointed legs) होते हैं।
  • शरीर सामान्यतः सिर, वक्ष और उदर में विभाजित रहता है।
  • इनके शरीर में तीन या उससे अधिक जोड़दार पैर पाए जाते हैं।
  • पैरों और शरीर पर काइटिन (Chitin) का बाहरी आवरण होता है जो इसे हल्का व मजबूत बनाता है।
  • इनका पाचन तंत्र सीधा और विकसित होता है।
  • इनमें खुला रक्त परिसंचरण तंत्र (Open circulatory system) होता है।
  • श्वसन के लिए ट्रेकिया (Tracheae) नामक श्वसन तंत्र कार्य करता है।
  • संसार के कुल जंतुओं का लगभग 75% आर्थ्रोपोडा समूह में शामिल है।

उदाहरण

झींगा (Palaemon), गोजर (Scolopendra), बिच्छू (Scorpion), मकड़ी (Aranea), घरेलू मक्खी (Musca), तितली (Salam), तिलचट्टा (Periplaneta) आदि।

G. मोलस्का (Mollusca)

यह जंतुओं का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। जिन जंतुओं के मुलायम शरीर को कठोर खोल या आवरण (Shell) सुरक्षा प्रदान करता है, वे मोलस्का कहलाते हैं।

मुख्य विशेषताएँ

  • इनका शरीर नरम, अविभाजित तथा द्विपार्श्व सममित होता है।
  • शरीर में सामान्यतः तीन भाग होते हैं—सिर, पाद (Foot) और आंत–थैली (Visceral mass)
  • शरीर पर मेंटल (Mantle) नामक पतला आवरण पाया जाता है।
  • ये परपोषी होते हैं।
  • जल एवं स्थल—दोनों स्थानों पर पाए जाते हैं।

उदाहरण

घोंघा, ऑयस्टर, सेपिया (कटलफिश), ऑक्टोपस, पायलस आदि।

H. इकाइनोडर्मेटा (Echinodermata)

जिन समुद्री जंतुओं की त्वचा कांटेदार (Spiny) होती है, उन्हें इकाइनोडर्मेटा कहते हैं। नाम में Echino = कांटा और derma = त्वचा।

मुख्य विशेषताएँ

  • ये केवल समुद्री जीव होते हैं।
  • वयस्क अवस्था में इनमें त्रिज्या-सममिति (Radial symmetry) पाई जाती है।
  • शरीर पर कठोर कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO₃) का आवरण होता है।
  • इनमें विशेष जल–परिसंचरण तंत्र (Water vascular system) पाया जाता है जो गमन और भोजन पकड़ने में सहायक होता है।
  • इनमें सिर स्पष्ट नहीं होता।

उदाहरण

स्टारफिश (Asterias), सी–urchin, सी–ककुंबर, ब्रिटल स्टार आदि।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

I. प्रोटोकॉर्डेटा (Protochordata)

इन जंतुओं का शरीर कोमल होता है और इनमें जीवन के किसी न किसी स्तर पर नोटोकोर्ड (Notochord) पाई जाती है, परंतु यह पूर्ण रूप से विकसित नहीं होती।

मुख्य विशेषताएँ

  • इनमें नोटोकोर्ड अस्थायी या आंशिक रूप में पाई जाती है।
  • शरीर द्विपार्श्व सममित, त्रिस्तरीय और वास्तविक देहगुहा युक्त होता है।
  • ये समुद्री जीव होते हैं।
  • तंत्रिका तंत्र प्रारंभिक अवस्था का होता है।

उदाहरण

हर्डमैनिया, एंफिऑक्सस, बालानोग्लोसस आदि।

J. वर्टीब्रेटा / केशरुकी (Vertebrata)

वे जंतु जिनमें वास्तविक मेरुदंड (Vertebral column) तथा मेरुरज्जु (Spinal cord) पाई जाती है, वर्टीब्रेटा या केशरुकी कहलाते हैं। यह पशु जगत का सर्वोच्च एवं सर्वाधिक विकसित समूह है।

मुख्य विशेषताएँ

  • शरीर द्विपार्श्व सममित एवं त्रिस्तरीय होता है।
  • इनमें विकसित कंकाल तंत्र पाया जाता है।
  • इनमें हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े जैसे उच्च कोटि के अंग पाए जाते हैं।
  • रक्त परिसंचरण तंत्र बंद (Closed) होता है।
  • ये मत्स्य, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी में विभाजित हैं।

Class 9 Biology Chapter 3 Notes in Hindi

निष्कर्ष (Conclusion)

यदि आपको कक्षा 9वीं जीवविज्ञान – अध्याय: जैव विविधता (Biodiversity) के ये नोट्स उपयोगी, सरल और परीक्षा की दृष्टि से सहायक लगे हों,
तो ऐसे ही आसान, स्पष्ट और समझने में आसान विज्ञान नोट्स के लिए हमारी वेबसाइट StudyNumberOne.co पर अवश्य जाएँ और उसे फॉलो करें।

हमारी वेबसाइट पर आपको कक्षा 9वीं और 10वीं के सभी विषयों — भौतिकी (Physics), रसायन (Chemistry), जीवविज्ञान (Biology) तथा अन्य विषयों के नवीनतम, NCERT आधारित और बोर्ड परीक्षा उपयोगी Free Hindi Medium Notes उपलब्ध हैं।

Study Number One – जहाँ पढ़ाई को बनाया जाता है सरल, सटीक और सभी विद्यार्थियों के लिए आसान।

Also Read

नमस्ते दोस्तों! मेरा नाम Mahi है और मैं Studynumberone.co का Founder एवं Writer हूँ। मैं Blogging, Technology, Make Money और Education से जुड़े कंटेंट लिखता हूँ। साथ ही मुझे Attitude Shayari, Sad Status, Love Quotes और Motivational Lines लिखना पसंद है। आशा करते हैं आपको हमारा पोस्ट पसंद आएगा।

Leave a Comment