Class 10th Chemistry Chapter 1 Notes in Hindi | रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण (Chemical Reactions and Equations) Free PDF Notes Download

Class 10th Chemistry Chapter 1 Notes in Hindiरासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण (Chemical Reactions and Equations) के इस पोस्ट में हम आपको NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित, सरल, स्पष्ट और परीक्षा-उपयोगी संपूर्ण नोट्स उपलब्ध करा रहे हैं।

यह नोट्स विशेष रूप से CBSE, Bihar Board, UP Board तथा अन्य राज्य बोर्डों के हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए हैं, ताकि वे इस अध्याय के प्रत्येक सिद्धांत को आसानी से समझ सकें और बोर्ड परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सकें।

इस अध्याय में हमने रासायनिक अभिक्रियाओं की सभी प्रमुख अवधारणाएँ जैसे – संयोजन अभिक्रिया, वियोजन अभिक्रिया, विस्थापन अभिक्रिया, द्विविस्थापन अभिक्रिया, ऑक्सीकरण–अपचयन अभिक्रिया, रेडॉक्स अभिक्रिया, तथा उष्माक्षेपी और उष्माशोषी अभिक्रियाएँ को विस्तारपूर्वक और बोर्ड परीक्षा पैटर्न के अनुसार समझाया है।

साथ ही, इस अध्याय में रासायनिक समीकरणों का संतुलन (Balancing Chemical Equations), अभिकारक एवं उत्पादों की पहचान, समीकरण के दोष और लाभ, तथा अभिक्रियाओं के प्रकारों को भी सरल उदाहरणों, सारणियों और स्पष्ट व्याख्या के साथ प्रस्तुत किया गया है।

हर विषय को परिभाषाओं, रासायनिक सूत्रों, उदाहरणों, चित्रों और मुख्य बिंदुओं (Key Points) के माध्यम से इस प्रकार समझाया गया है कि विद्यार्थी इसे आसानी से याद रख सकें और परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।

अगर आप Class 10th Chemistry Chapter 1 – रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण (Chemical Reactions and Equations) को एकदम आसान भाषा में समझना चाहते हैं और बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करना चाहते हैं,
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Table of Contents

Class 10th Chemistry Chapter 1 Notes in Hindi

Class 10th Chemistry Chapter 1 Notes in Hindi
Class 10th Chemistry Chapter 1 Notes in Hindi

रासायन शास्त्र (Chemistry)

रासायन शास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण, संगठन, संरचना एवं उनमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। अर्थात जब हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि कोई पदार्थ किन तत्वों से बना है, उसकी रचना कैसी है, और किन परिस्थितियों में वह बदलता है, तो यह अध्ययन रासायन शास्त्र कहलाता है। आधुनिक रासायन शास्त्र के जनक एंटोनी लेवोज़ियर (Antoine Lavoisier) माने जाते हैं, जिन्होंने द्रव्यमान संरक्षण का नियम दिया था, जिसके अनुसार किसी रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थ का नाश नहीं होता, केवल उसका रूप बदलता है।

रासायनिक अभिक्रिया (Chemical Reaction)

जब एक या अधिक पदार्थ आपस में मिलकर एक या अधिक नए पदार्थों का निर्माण करते हैं, तो उसे रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण – जब मैग्नीशियम (Mg) की पट्टी को जलाया जाता है, तो वह वायु में उपस्थित ऑक्सीजन (O₂) से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) नामक सफेद पाउडर बनाती है।
रासायनिक समीकरण: Mg + O₂ → MgO
इसी प्रकार दूध का दही में बदलना, लोहे का जंग लगना, फलों का पकना, और मोमबत्ती का जलना सभी रासायनिक अभिक्रियाओं के उदाहरण हैं।

रासायनिक समीकरण (Chemical Equation)

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक (Reactants) और उत्पाद (Products) को उनके रासायनिक सूत्रों के रूप में लिखा जाता है, तो उसे रासायनिक समीकरण कहा जाता है।
उदाहरण – 2Mg + O₂ → 2MgO
इस समीकरण में बाएँ तरफ के पदार्थ अभिकारक और दाएँ तरफ बनने वाला पदार्थ उत्पाद कहलाते हैं।

अभिकारक या प्रतिकारक (Reactants)

वे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं और नए पदार्थ बनाने में सहायक होते हैं, उन्हें अभिकारक या प्रतिकारक कहते हैं।
उदाहरण – 2Mg + O₂ → 2MgO
यहाँ 2Mg और O₂ अभिकारक हैं।

उत्पाद या प्रतिफल (Products)

रासायनिक अभिक्रिया के परिणामस्वरूप बनने वाले नए पदार्थों को उत्पाद या प्रतिफल कहा जाता है।
उदाहरण – 2Mg + O₂ → 2MgO
यहाँ 2MgO उत्पाद है।

रासायनिक समीकरण के प्रकार

रासायनिक समीकरण दो प्रकार के होते हैं –

  1. संतुलित रासायनिक समीकरण
  2. असंतुलित रासायनिक समीकरण

संतुलित रासायनिक समीकरण

वह रासायनिक समीकरण जिसमें अभिकारकों और उत्पादों दोनों में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान होती है, संतुलित रासायनिक समीकरण कहलाता है।
उदाहरण – 2Mg + O₂ → 2MgO

तत्वL.H.SR.H.S
Mg22
O22

असंतुलित रासायनिक समीकरण

वह रासायनिक समीकरण जिसमें अभिकारकों और उत्पादों के परमाणुओं की संख्या समान नहीं होती है, असंतुलित रासायनिक समीकरण कहलाता है।
उदाहरण – Mg + O₂ → MgO

तत्वL.H.SR.H.S
Mg11
O21

रासायनिक समीकरण से मिलने वाली जानकारियाँ

  1. यह अभिकारकों और उत्पादों की पहचान बताता है।
  2. यह अभिकारकों और उत्पादों के संकेत या सूत्रों की जानकारी देता है।
  3. यह अभिकारकों और उत्पादों के मात्रात्मक अनुपात की जानकारी देता है।
  4. यह बताता है कि अभिकारक में कौन-कौन से पदार्थ भाग ले रहे हैं और अभिक्रिया के फलस्वरूप कौन-कौन से नए पदार्थ बन रहे हैं।

रासायनिक समीकरण से लाभ (Advantages of Chemical Equation)

  1. किसी भी रासायनिक अभिक्रिया को समीकरण के रूप में लिखने से उसका रूप और अनुरूपण आसान हो जाता है।
  2. इससे समय की बचत होती है तथा अभिक्रिया को दर्शाने के लिए कम स्थान की आवश्यकता पड़ती है।
  3. पूरे विश्व में एक ही प्रकार के रासायनिक संकेत और सूत्र उपयोग में लाए जाते हैं, जिससे वैज्ञानिकों को रासायनिक समीकरणों को समझने में कठिनाई नहीं होती।

रासायनिक समीकरण के दोष (Limitations of Chemical Equation)

  1. रासायनिक समीकरण से अभिकारकों और उत्पादों के भौतिक गुण (जैसे रंग, गंध, अवस्था आदि) का पता नहीं चलता।
  2. इससे यह भी ज्ञात नहीं होता कि अभिक्रिया किन परिस्थितियों या दशाओं में संभव है, जैसे ताप, दाब या उत्प्रेरक की उपस्थिति।

रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार (Types of Chemical Reactions)

1. संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction)

जब दो या दो से अधिक पदार्थ संयोग करके एक नया पदार्थ बनाते हैं, तो उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण:
C(s) + O₂(g) → CO₂(g)
जब कोयले (Carbon) को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस बनती है।

2. वियोजन अभिक्रिया (Decomposition Reaction)

जब एक यौगिक टूटकर दो या दो से अधिक नए पदार्थ बनाता है, तो उसे वियोजन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण:
2H₂O(l) → 2H₂(g) + O₂(g)

बुझे हुए चूने का उपयोग दीवारों की सफेदी में क्यों होता है?

बुझा हुआ चूना (Ca(OH)₂) दीवारों की सफेदी में इसलिए उपयोग किया जाता है क्योंकि यह वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के साथ धीरे-धीरे अभिक्रिया करता है और कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) बनाता है।
2 से 3 दिनों के बाद यह कैल्शियम कार्बोनेट दीवार पर संगमरमर जैसी चमक प्रदान करता है।

रासायनिक अभिक्रिया:
Ca(OH)₂ (बुझा हुआ चुना) + CO₂ → CaCO₃ (संगमरमर/चूना पत्थर) + H₂O

Cao → बिना बुझा हुआ चुना (कली चुना)
Ca(OH)₂ → बुझा हुआ चुना
CaCO₃ → चुना पत्थर या संगमरमर

वियोजन अभिक्रिया के प्रकार (Types of Decomposition Reaction)

(i) उष्मीय वियोजन अभिक्रिया (Thermal Decomposition Reaction)

जब किसी पदार्थ का वियोजन ऊष्मा (Heat) द्वारा किया जाता है, तो उसे उष्मीय वियोजन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण:
CaCO₃(s) गर्म करने पर → CaO(s) + CO₂(g)

(ii) प्रकाशीय वियोजन अभिक्रिया (Photolytic Decomposition Reaction)

जब किसी पदार्थ का वियोजन सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है, तो उसे प्रकाशीय वियोजन कहते हैं।
उदाहरण:
2AgCl(s) —सूर्य के प्रकाश→ 2Ag(s) + Cl₂(g)

इस अभिक्रिया में AgCl (सिल्वर क्लोराइड) सूर्य के प्रकाश में टूटकर सिल्वर (Ag) और क्लोरीन गैस (Cl₂) बनाता है, जिससे सिल्वर क्लोराइड का रंग सफेद से धूसर हो जाता है।

(iii) वैद्युत वियोजन अभिक्रिया (Electrolytic Decomposition Reaction)

जब किसी पदार्थ का वियोजन विद्युत धारा प्रवाहित करके कराया जाता है, तो उसे वैद्युत वियोजन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण:
2H₂O —विद्युत धारा→ 2H₂ + O₂

इस अभिक्रिया में जल (H₂O) विद्युत प्रवाह के द्वारा हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों में विभाजित हो जाता है।

3. विस्थापन या एकल विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)

जब कोई तत्व दूसरे तत्व को उसके यौगिक के विलयन से विस्थापित कर उसका स्थान ले लेता है, तो ऐसी अभिक्रिया को विस्थापन या एकल विस्थापन अभिक्रिया कहा जाता है।
उदाहरण:
Fe(s) + CuSO₄(aq) → FeSO₄(aq) + Cu(s)

इस अभिक्रिया में लोहा (Fe) तांबा (Cu) को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है।

4. द्विविस्थापन या उभय विस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction)

जब दो यौगिक अपने आयनों की अदला-बदली करके दो नए यौगिकों का निर्माण करते हैं, तो इसे द्विविस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरण:
Na₂SO₄(aq) + BaCl₂(aq) → BaSO₄(s) + 2NaCl(aq)

इसमें सोडियम सल्फेट (Na₂SO₄) और बेरियम क्लोराइड (BaCl₂) आपस में आयनों की अदला-बदली करते हैं, जिससे बेरियम सल्फेट (BaSO₄) और सोडियम क्लोराइड (NaCl) बनते हैं।

Na₂SO₄ → सोडियम सल्फेट
BaCl₂ → बेरियम क्लोराइड
BaSO₄ → बेरियम सल्फेट
NaCl → सोडियम क्लोराइड

अवक्षेपण अभिक्रिया (Precipitation Reaction)

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी अवक्षेप (Precipitate) का निर्माण होता है, उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहा जाता है। इस प्रकार की अभिक्रियाओं में दो विलयन (solutions) आपस में प्रतिक्रिया करके एक अघुलनशील ठोस पदार्थ (अवक्षेप) बनाते हैं, जो नीचे बैठ जाता है।

उदाहरण:
Pb(NO₃)₂(aq) + 2KI(aq) → PbI₂(s) + 2KNO₃(aq)

इस अभिक्रिया में लेड नाइट्रेट (Pb(NO₃)₂) और पोटेशियम आयोडाइड (KI) आपस में प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे लेड आयोडाइड (PbI₂) नामक पीले रंग का अवक्षेप बनता है।

उदासीनीकरण अभिक्रिया (Neutralization Reaction)

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अम्ल (Acid) और क्षार (Base) आपस में प्रतिक्रिया करके लवण (Salt) और जल (Water) का निर्माण करते हैं, उसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।

उदाहरण:
HCl + NaOH → NaCl + H₂O

अम्लक्षारलवणजल
HClNaOHNaClH₂O

इस अभिक्रिया में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) और सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) प्रतिक्रिया कर सोडियम क्लोराइड (NaCl) और जल बनाते हैं। यह एक उष्माक्षेपी अभिक्रिया भी है क्योंकि इसमें थोड़ी मात्रा में ऊष्मा निकलती है।

ऑक्सीकरण अभिक्रिया (Oxidation Reaction)

जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है या हाइड्रोजन की कमी होती है, तो ऐसी अभिक्रिया को ऑक्सीकरण या उपचयन अभिक्रिया कहा जाता है।

ऑक्सीजन की वृद्धि के उदाहरण:
2Mg + O₂ → 2MgO (Mg का ऑक्सीकरण)
C + O₂ → CO₂ (C का ऑक्सीकरण)

हाइड्रोजन की कमी का उदाहरण:
H₂S + Cl₂ → 2HCl + S (H₂S का ऑक्सीकरण)

अवकरण अभिक्रिया (Reduction Reaction)

जब किसी पदार्थ में हाइड्रोजन की वृद्धि होती है या ऑक्सीजन की कमी होती है, तो इसे अवकरण या अपचयन अभिक्रिया कहा जाता है।

हाइड्रोजन की वृद्धि के उदाहरण:
H₂ + Cl₂ → 2HCl (Cl₂ का अपचयन)
H₂ + I₂ → 2HI (I₂ का अपचयन)

ऑक्सीजन की कमी के उदाहरण:
CuO + H₂ → Cu + H₂O (CuO का अपचयन)
ZnO + C → Zn + CO (ZnO का अपचयन)

रेडॉक्स अभिक्रिया (Redox Reaction)

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में ऑक्सीकरण और अपचयन दोनों क्रियाएँ एक साथ होती हैं, तो उसे रेडॉक्स अभिक्रिया कहा जाता है।

उदाहरण:
CuO + H₂ → Cu + H₂O

इसमें हाइड्रोजन (H₂) का ऑक्सीकरण होता है (क्योंकि वह ऑक्सीजन ग्रहण करता है) और कॉपर ऑक्साइड (CuO) का अपचयन होता है (क्योंकि वह ऑक्सीजन खो देता है)।

उष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया (Exothermic Reaction)

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें उत्पादों के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा (Heat) निकलती है, उसे उष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं।

उदाहरण:
CH₄(g) + 2O₂(g) → CO₂(g) + 2H₂O(l) + ऊष्मा

इस अभिक्रिया में मीथेन (CH₄) जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊष्मा उत्पन्न होती है।
चूना (CaO) का उपयोग बड़े पैमाने पर सीमेंट और काँच के निर्माण में किया जाता है क्योंकि यह उष्माक्षेपी प्रतिक्रिया में भाग लेता है।

संक्षारण (Corrosion)

वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें धातुएँ वायु, नमी या अम्लों के संपर्क में आकर धीरे-धीरे अवांछनीय यौगिकों में बदल जाती हैं, उसे संक्षारण (Corrosion) कहा जाता है।

लोहे में जंग लगना (Rusting of Iron)

जब लोहे की वस्तुएँ वायु की नमी और ऑक्सीजन के संपर्क में आती हैं, तो उन पर लाल-भूरे रंग की परत (Fe₂O₃·xH₂O) बन जाती है, जिसे जंग (Rust) कहते हैं।
यह प्रक्रिया धातु को कमजोर कर देती है और धीरे-धीरे वस्तु को नष्ट कर देती है।

विकृतगंधीता (Rancidity)

जब वसा (Fats) और तेल (Oils) से बने खाद्य पदार्थ वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं, तो उनमें उपचयन (Oxidation) की क्रिया होती है। इस प्रक्रिया के कारण उनमें अरुचिकर (Unpleasant) गंध और स्वाद उत्पन्न हो जाता है, जिसे विकृतगंधीता (Rancidity) कहा जाता है।
यह समस्या सामान्यतः बासी तेल या वसा वाले पदार्थों जैसे — नमकीन, चिप्स, और तले हुए खाद्य पदार्थों में होती है।
इस विकृतगंधीता को रोकने के लिए एंटीऑक्सीडेंट्स का प्रयोग किया जाता है। कुछ सामान्य एंटीऑक्सीडेंट्स हैं:

BHA (Butylated Hydroxy Anisole)
BHT (Butylated Hydroxy Toluene)

ये पदार्थ वसा और तेल में ऑक्सीकरण को रोककर उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाते हैं।

उपचायक (Oxidizing Agent)

वे पदार्थ जो किसी अन्य पदार्थ में अपचयन (Reduction) की क्रिया कराते हैं, उपचायक कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए –
Cuo + H₂ → Cu + H₂O
इस अभिक्रिया में हाइड्रोजन एक उपचायक की तरह कार्य करता है, क्योंकि यह CuO को Cu में बदल देता है।

दहन (Combustion)

किसी पदार्थ का ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलना दहन कहलाता है। यह एक ऊष्माक्षेपी (Exothermic) अभिक्रिया होती है क्योंकि इसमें उष्मा उत्पन्न होती है।

दहन के लिए आवश्यक शर्तें –

  1. दहनशील पदार्थ की उपस्थिति
  2. ऑक्सीजन या दहन के पोषक पदार्थ की उपस्थिति
  3. पर्याप्त ज्वलन ताप (Ignition Temperature) की प्राप्ति

दहनशील पदार्थ (Combustible Substances)

वे पदार्थ जो जल सकते हैं, दहनशील पदार्थ कहलाते हैं।
जैसे — कोयला, लकड़ी, कागज आदि।

अदहनशील पदार्थ (Non-Combustible Substances)

वे पदार्थ जो नहीं जलते हैं, अदहनशील पदार्थ कहलाते हैं।
जैसे — पत्थर, ईंट, बालू आदि।

ज्वलन ताप (Ignition Temperature)

किसी पदार्थ के जलना प्रारंभ करने के लिए आवश्यक न्यूनतम तापमान को ज्वलन ताप कहा जाता है।
हर पदार्थ का ज्वलन ताप अलग-अलग होता है।

श्वसन ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया क्यों है?

श्वसन (Respiration) में हमारे शरीर में उपस्थित ग्लूकोज (Glucose) ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके ऊर्जा (Energy) उत्पन्न करता है।
यह ऊर्जा हमें चलने, काम करने और शरीर के कार्य करने में मदद करती है।
क्योंकि इस प्रक्रिया में उष्मा (Heat) निकलती है, इसलिए श्वसन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction) है।

तेल एवं वसा युक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से क्यों भरा जाता है?

जब तेल या वसा वाले पदार्थ वायु के संपर्क में आते हैं तो उनमें उपचयन की क्रिया होती है, जिससे उनका स्वाद और गंध खराब हो जाता है।
इससे बचाने के लिए पैकिंग के समय उनके डिब्बों या पैकेटों में नाइट्रोजन गैस (Nitrogen Gas) भरी जाती है।
यह ऑक्सीजन को बाहर निकाल देती है और खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक ताज़ा रखती है।

चिप्स की थैली में नाइट्रोजन गैस क्यों भरी जाती है?

चिप्स बनाने वाली कंपनियाँ पैकेट में नाइट्रोजन गैस भरती हैं ताकि चिप्स में उपस्थित तेल का उपचयन न हो और उनका स्वाद लंबे समय तक बरकरार रहे।
नाइट्रोजन गैस ऑक्सीजन की तरह अभिक्रियाशील नहीं होती, इसलिए यह चिप्स को खराब होने से बचाती है और कुरकुरापन बनाए रखती है।

पेट्रोलियम गैस एक उत्तम ईंधन क्यों है?

पेट्रोलियम गैस में ब्यूटेन (Butane), प्रोपेन (Propane) और एथेन (Ethane) का मिश्रण होता है।
इसमें ब्यूटेन मुख्य घटक है जो तेज़ी से जलकर अधिक उष्मा (Heat) प्रदान करता है।
इसकी ज्वलन क्रिया स्वच्छ होती है और यह प्रदूषण कम फैलाता है, इसलिए पेट्रोलियम गैस एक उत्तम ईंधन (Ideal Fuel) मानी जाती है।

वायु में जलाने से पहले मैग्नीशियम रिबन को साफ़ क्यों किया जाता है?

मैग्नीशियम रिबन की सतह पर मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) की परत बन जाती है जो उसे जलने से रोकती है।
इसलिए जलाने से पहले इसे सरेसपत्र (Sandpaper) से रगड़कर साफ़ किया जाता है ताकि रिबन सीधे वायु के संपर्क में आकर आसानी से जल सके।

लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डालने पर उसका रंग क्यों बदलता है?

जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट (CuSO₄) के विलयन में डाला जाता है, तो लोहा (Fe) कॉपर को विस्थापित कर देता है और आयरन सल्फेट (FeSO₄) बनाता है।
इससे विलयन का रंग गहरा नीला (Blue) से बदलकर हल्का हरा (Green) हो जाता है।
रासायनिक अभिक्रिया: Fe(s) + CuSO₄(aq) → FeSO₄(aq) + Cu(s)
(नीला → हरा)

निष्कर्ष (Conclusion):

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