Class 10th Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi – धातु तथा अधातु (Metals and Non-Metals) के इस पोस्ट में हम आपको NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित, सरल, स्पष्ट और परीक्षा-उपयोगी संपूर्ण नोट्स उपलब्ध करा रहे हैं।
यह नोट्स विशेष रूप से CBSE, Bihar Board, UP Board तथा अन्य राज्य बोर्डों के हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए हैं, ताकि वे इस अध्याय के प्रत्येक सिद्धांत को आसानी से समझ सकें और बोर्ड परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सकें।
इस अध्याय में हमने धातुओं और अधातुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुण, जैसे – तन्यता, धातुई चमक, ध्वनि, गलनांक, चालकता, तथा अधातुओं की विशेषताएँ, को सरल भाषा में विस्तारपूर्वक समझाया है।
साथ ही, यहाँ आप सीखेंगे –
धातु और अधातु के रासायनिक गुणों में अंतर, जल एवं अम्ल के साथ अभिक्रियाएँ, सक्रियता श्रेणी, उभयधर्मी ऑक्साइड, जस्तीकरण (Galvanization), संक्षारण (Corrosion) और जंग (Rust) जैसे महत्वपूर्ण विषयों को।
हर विषय को सरल व्याख्या, रासायनिक समीकरणों, उदाहरणों, और मुख्य बिंदुओं (Key Points) के माध्यम से इस तरह समझाया गया है कि विद्यार्थी इसे आसानी से याद रख सकें और परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।
अगर आप Class 10th Chemistry Chapter 3 – धातु तथा अधातु (Metals and Non-Metals) को एकदम आसान भाषा में समझना चाहते हैं और बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करना चाहते हैं,
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Class 10th Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi

तत्व (Element)
पदार्थ का वह अंश जिसे किसी भी भौतिक या रासायनिक प्रक्रिया द्वारा और अधिक विभाजित नहीं किया जा सकता, उसे तत्व कहा जाता है। यह केवल एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है।
उदाहरण: हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, लोहा, मैग्नीशियम आदि।
अब तक लगभग 114 तत्व ज्ञात हैं, जिनमें से 92 प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और शेष कृत्रिम रूप से निर्मित किए गए हैं।
इनमें लगभग 92 धातुएँ, 22 अधातुएँ और 7 उपधातुएँ होती हैं।
आवर्त सारणी में धातुओं को बायीं ओर, अधातुओं को दायीं ओर, और अक्रिय गैसों को सबसे दाहिनी ओर रखा गया है।
तत्वों का वर्गीकरण
1. धातु (Metals)
धातुएँ वे तत्व हैं जो उष्मा और विद्युत की अच्छी सुचालक होती हैं। इनमें अघातवर्ध्यता (हथौड़े से पीटकर चादर बनाने की क्षमता) और तन्यता (तारों में खींचे जाने की क्षमता) पाई जाती है।
धातुएँ आमतौर पर चमकदार होती हैं और ठोस अवस्था में पाई जाती हैं।
उदाहरण: लोहा, एल्युमिनियम, सोना, चाँदी आदि।
2. अधातु (Non-Metals)
अधातु वे तत्व हैं जो उष्मा और विद्युत के कुचालक होते हैं। इनमें अघातवर्ध्यता और तन्यता के गुण नहीं पाए जाते।
ये भंगुर होती हैं और सामान्यतः चमकहीन होती हैं।
उदाहरण: कार्बन, सल्फर, ब्रोमीन, फॉस्फोरस आदि।
3. उपधातु (Metalloids)
उपधातुएँ वे तत्व हैं जिनमें धातुओं और अधातुओं दोनों के गुण पाए जाते हैं।
ये कुछ परिस्थितियों में धातु की तरह और कुछ में अधातु की तरह व्यवहार करती हैं।
उदाहरण: बोरॉन, सिलिकॉन, जर्मेनियम, सेलेनियम, एंटीमनी आदि।
धातु और अधातु के भौतिक गुणों में अंतर
| गुणधर्म | धातु (Metals) | अधातु (Non-Metals) |
| चमक | सामान्यतः चमकदार | चमकहीन |
| अवस्था | अधिकतर ठोस | कुछ ठोस, कुछ गैस |
| अघातवर्ध्यता | पीटकर चादर बनाई जा सकती है | भंगुर, टूट जाती हैं |
| तन्यता | तारों में खींची जा सकती हैं | तन्य नहीं होती |
| चालकता | उष्मा व विद्युत की सुचालक | उष्मा व विद्युत की कुचालक |
| गलनांक/क्वथनांक | सामान्यतः उच्च | सामान्यतः निम्न |
अपवाद (Exceptions)
- आयोडीन और ग्रेफाइट अधातु होते हुए भी चमकदार हैं।
- सीसा (Lead) एक धातु है लेकिन विद्युत का अच्छा सुचालक नहीं है।
- ग्रेफाइट (Graphite) अधातु है, परंतु विद्युत का सुचालक होता है।
- पारा (Mercury) एकमात्र धातु है जो द्रव अवस्था में पाया जाता है।
- ब्रोमीन (Bromine) अधातु होते हुए भी द्रव अवस्था में पाई जाती है।
अघातवर्ध्यता (Malleability)
धातु का वह गुण जिसके कारण उसे हथौड़े से पीटकर पतली चादर के रूप में बदला जा सकता है, अघातवर्ध्यता कहलाता है।
- सोना और चाँदी सबसे अधिक अघातवर्ध्य धातुएँ हैं।
- सोने की एक चादर को लगभग 0.0004 मिलीमीटर तक पतला किया जा सकता है।
- धातुओं में परमाणु लैटिस संरचना में व्यवस्थित होते हैं, जिससे यह गुण उत्पन्न होता है।
- एलुमिनियम की पतली पन्नियाँ भोजन, चॉकलेट और दवाइयों को लपेटने में प्रयोग की जाती हैं।
- चाँदी की पन्नियाँ मिठाइयों को सजाने में उपयोग की जाती हैं।
तन्यता (Ductility)
धातुओं का वह गुण जिसके कारण उन्हें तार के रूप में खींचा जा सकता है, तन्यता कहलाता है।
सोना और चाँदी सबसे अधिक तन्य धातुएँ हैं।
- 1 ग्राम सोना से लगभग 2 किलोमीटर लंबा तार बनाया जा सकता है।
- ऊष्मा का सबसे अच्छा चालक चाँदी और ताँबा (कॉपर) है।
- घरों में उपयोग होने वाले ताँबे के तारों के ऊपर पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) अथवा रबड़ की परत चढ़ी होती है ताकि विद्युत से सुरक्षा मिल सके।
- यूरेनियम सबसे भारी धातु है, जबकि लिथियम सबसे हल्की धातु है।
धातुई चमक (Metallic Lustre)
धातुओं की सतह पर पाई जाने वाली विशिष्ट चमक को धातुई चमक कहा जाता है।
यह चमक प्रकाश को परावर्तित करने की क्षमता के कारण होती है।
धातुई ध्वनि (Metallic Sound)
जब किसी धातु को हथौड़े से पीटा जाता है, तो उससे एक विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है, जिसे धातुई ध्वनि कहा जाता है।
गैलियम (Gallium) और सीज़ियम (Cesium) का गलनांक बहुत कम होता है, इसलिए ये हथेली पर रखने से शरीर की ऊष्मा से पिघलने लगते हैं।
धातु और अधातु के रासायनिक गुणों में अंतर
धातु (Metals)
- धातु विद्युत धनात्मक (Electropositive) होती हैं।
- ये ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके क्षारीय धातु ऑक्साइड बनाती हैं।
उदाहरण:
2Mg + O₂ → 2MgO - ये ऑक्साइड जल में घुलकर क्षार (Base) बनाते हैं।
उदाहरण:
Na₂O + H₂O → 2NaOH - धातु जल से अभिक्रिया कर ऑक्साइड और हाइड्रोजन गैस बनाती हैं।
- धातु अम्ल से अभिक्रिया करके भी हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करती हैं।
अधातु (Non-Metals)
- अधातु विद्युत ऋणात्मक (Electronegative) होती हैं।
- ये ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं।
- इनके ऑक्साइड जल में घुलकर अम्ल (Acid) बनाते हैं।
- अधातुएँ जल के साथ अभिक्रिया नहीं करतीं।
- अधातुएँ अम्ल के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस नहीं बनातीं।
जल के साथ अभिक्रिया (Reaction with Water)
कुछ धातुएँ ठंडे जल के साथ तथा कुछ भाप (Steam) के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं।
ठंडे जल के साथ अभिक्रिया:
2Na + 2H₂O → 2NaOH + H₂↑
भाप के साथ अभिक्रिया:
Mg + H₂O → MgO + H₂↑
Zn + H₂O → ZnO + H₂↑
उभयधर्मी ऑक्साइड (Amphoteric Oxide)
ऐसे धातु ऑक्साइड जो अम्ल और क्षार दोनों से अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं, उन्हें उभयधर्मी ऑक्साइड कहा जाता है।
उदाहरण:
ZnO + 2HCl → ZnCl₂ + H₂O
एनोडीकरण (Anodization)
एल्युमिनियम पर मोटी ऑक्साइड की परत बनाने की प्रक्रिया को एनोडीकरण कहा जाता है।
इस परत से एल्युमिनियम जंग (Corrosion) से सुरक्षित रहता है और इसकी चमक एवं मजबूती बढ़ जाती है।
सक्रियता श्रेणी (Reactivity Series)
सक्रियता श्रेणी वह सूची है जिसमें धातुओं को उनकी क्रियाशीलता के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।
अर्थात, सबसे ऊपर सबसे अधिक क्रियाशील धातुएँ और नीचे सबसे कम क्रियाशील धातुएँ रखी जाती हैं।
जल के साथ तीव्र अभिक्रिया करने वाली धातुएँ:
पोटैशियम (K), सोडियम (Na), कैल्सियम (Ca)
जल के साथ मंद अभिक्रिया करने वाली धातुएँ:
मैग्नीशियम (Mg), एल्युमिनियम (Al), जिंक (Zn), आयरन (Fe)
अम्ल के साथ अभिक्रिया नहीं करने वाली धातुएँ:
मरकरी (Hg), सीसा (Pb), चाँदी (Ag), सोना (Au), प्लैटिनम (Pt)
सोडियम को केरोसिन में डुबोकर रखा जाता है क्यों?
सोडियम एक अत्यंत क्रियाशील धातु है जो सामान्य तापमान पर नमी एवं ऑक्सीजन के साथ तीव्र अभिक्रिया करती है और परिणामस्वरूप सोडियम ऑक्साइड का निर्माण करती है।
लेकिन केरोसिन तेल के साथ यह किसी प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया नहीं करती।
इसी कारण सोडियम को सुरक्षित रखने के लिए केरोसिन तेल में डुबोकर रखा जाता है, जिससे यह वायु और नमी के संपर्क से बची रहती है।
आयनिक यौगिक का गलनांक उच्च क्यों होता है?
आयनिक यौगिक धनात्मक (cation) और ऋणात्मक (anion) आयनों से मिलकर बने होते हैं।
इन आयनों के बीच मजबूत वैद्युत आकर्षण बल (electrostatic force) होता है जो इन्हें अत्यंत सघनता से जोड़कर रखता है।
इस बंधन को तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए आयनिक यौगिकों का गलनांक (melting point) उच्च होता है।
धातुओं की प्रकृति की अवस्थाएँ
1. मुक्त अवस्था में:
वे धातुएँ जो सामान्य तापमान पर ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प या नाइट्रोजन के साथ अभिक्रिया नहीं करतीं, मुक्त अवस्था में पाई जाती हैं।
उदाहरण – सिल्वर (Ag), सोना (Au), प्लैटिनम (Pt) आदि।
2. संयुक्त अवस्था में:
वे धातुएँ जो सामान्य अवस्था में ऑक्सीजन, जलवाष्प या कार्बन डाइऑक्साइड से आसानी से अभिक्रिया करती हैं, संयुक्त अवस्था में पाई जाती हैं।
उदाहरण – सोडियम (Na), पोटैशियम (K), कैल्सियम (Ca), मैग्नीशियम (Mg), कॉपर (Cu) आदि।
जंग (Rust)
जब लोहा (Fe) को लंबे समय तक आर्द्र हवा (moist air) के संपर्क में छोड़ दिया जाता है, तो उसकी सतह पर भूरे रंग की परत बन जाती है जिसे जंग (Rust) कहा जाता है।
यह परत Fe₂O₃·xH₂O (हाइड्रेटेड फेरिक ऑक्साइड) होती है।
संक्षारण (Corrosion)
संक्षारण वह प्रक्रिया है जिसमें कोई क्रियाशील धातु, नमी युक्त वायु या अन्य रासायनिक तत्वों के साथ अभिक्रिया करके अवांछनीय यौगिकों का निर्माण करती है।
उदाहरण – लोहे में जंग लगना, कॉपर पर हरी परत बनना आदि।
संक्षारण से धातु की गुणवत्ता, मजबूती और चमक कम हो जाती है।
संक्षारण की आवश्यक शर्तें
- वायु की उपस्थिति
- जल या नमी की उपस्थिति
- अभिक्रियाशील धातु की उपस्थिति
जंग से बचने के उपाय
- धातु की सतह पर पेंट करना
- तेल या ग्रीस की परत चढ़ाना
- जस्तीकरण (Galvanization)
- क्रोमियम लेपन (Chromium Plating)
- मिश्र धातु (Alloy) बनाना
इन विधियों से धातु की सतह पर संरक्षण परत (protective layer) बन जाती है जो वायु और नमी के संपर्क को रोकती है।
जस्तीकरण (Galvanization)
लोहे (Iron) पर जिंक (Zinc) की पतली परत चढ़ाने की प्रक्रिया को जस्तीकरण कहते हैं।
यह परत लोहे को ऑक्सीजन और नमी से सुरक्षित रखती है, जिससे जंग लगने की संभावना कम हो जाती है।
गैल्वेनिकृत लोहा (Galvanized Iron)
जिंक की पतली परत चढ़ाए गए लोहे को गैल्वेनिकृत लोहा कहा जाता है।
इसका उपयोग लोहे की बाल्टी, पाइप, छत की चादरें आदि बनाने में किया जाता है।
जिंक की परत लोहे को जंग लगने से बचाती है और उसकी आयु बढ़ा देती है।
मिश्रधातु (Alloy)
दो या दो से अधिक धातुओं या अधातुओं का समांगी मिश्रण (homogeneous mixture) मिश्रधातु कहलाता है।
मिश्रधातुएँ धातुओं की मजबूती, चमक, और उपयोगिता बढ़ाने के लिए बनाई जाती हैं।
उदाहरण:
- पितल (Brass) → ताँबा (Cu) + जस्ता (Zn)
- काँसा (Bronze) → ताँबा (Cu) + टिन (Sn)
- सोल्डर (Solder) → सीसा (Pb) + टिन (Sn)
अमलगम (Amalgam)
जब किसी मिश्रधातु में एक धातु पारा (Mercury) होती है, तो उसे अमलगम कहा जाता है।
उदाहरण:
- सोडियम अमलगम (Na + Hg)
ध्यान दें — पारा, लोहा के साथ अमलगम नहीं बनाता।
खनिज (Mineral)
भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली धातु युक्त ठोस पदार्थों को खनिज कहते हैं।
उदाहरण: सोडियम क्लोराइड (NaCl), कैल्सियम क्लोराइड (CaCl₂)
अयस्क (Ore)
वे खनिज जिनसे धातु आसानी से और कम खर्च में प्राप्त की जा सके, उन्हें अयस्क कहते हैं।
अयस्क के प्रकार
1. ऑक्साइड अयस्क:
- हेमेटाइट → Fe₂O₃
- बॉक्साइट → Al₂O₃·2H₂O
2. सल्फाइड अयस्क:
- कॉपर ग्लांस → Cu₂S
- सिनेबार → HgS
- जिंक ब्लेंड → ZnS
3. कार्बोनेट अयस्क:
- चुना पत्थर → CaCO₃
- कैलेमाइन → ZnCO₃
4. हैलाइड अयस्क:
- रॉक साल्ट → NaCl
- फ्लोस्पार → CaF₂
खनिज और अयस्क में अंतर
| बिंदु | खनिज (Mineral) | अयस्क (Ore) |
| 1 | भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली धातु या यौगिक | वे खनिज जिनसे धातु आसानी से और सस्ते में निकाली जा सके |
| 2 | धातु की मात्रा अलग-अलग होती है | धातु की मात्रा पर्याप्त होती है |
| 3 | अशुद्धियाँ अधिक होती हैं | अशुद्धियाँ बहुत कम होती हैं |
| 4 | सभी खनिजों से धातु नहीं निकाली जा सकती | सभी अयस्कों से धातु निकाली जा सकती है |
| 5 | सभी खनिज अयस्क नहीं होते | सभी अयस्क खनिज होते हैं |
धातुकर्म (Metallurgy)
अयस्कों से धातु के निष्कर्षण और शोधन की प्रक्रिया को धातुकर्म कहा जाता है।
गैंग या अद्यात्री (Gangue/Matrix)
अयस्कों में उपस्थित अशुद्धियाँ, जैसे बालू, मिट्टी, कंकड़-पत्थर आदि को गैंग कहा जाता है।
सांद्रण (Concentration)
अयस्क से अशुद्धियों को अलग करने की प्रक्रिया को सांद्रण कहते हैं।
यह प्रक्रिया गुरुत्व पृथक्करण, चुंबकीय पृथक्करण या तैरन विधि (Froth Floatation) द्वारा की जाती है।
भर्जन (Roasting)
जब सांद्रित अयस्क को वायु की पर्याप्त मात्रा में गर्म किया जाता है, ताकि वह पिघले नहीं और ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाए, तो यह प्रक्रिया भर्जन कहलाती है।
यह विधि मुख्यतः सल्फाइड अयस्कों के लिए प्रयोग होती है।
निस्तापन (Calcination)
जब अयस्क को सीमित वायु की उपस्थिति या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है, जिससे वह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाए, तो इस प्रक्रिया को निस्तापन कहते हैं।
यह विधि मुख्यतः कार्बोनेट अयस्कों के लिए प्रयोग होती है।
भर्जन और निस्तापन में अंतर
| बिंदु | भर्जन (Roasting) | निस्तापन (Calcination) |
| 1 | वायु की उपस्थिति में किया जाता है | सीमित वायु या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में किया जाता है |
| 2 | सल्फाइड अयस्क के लिए प्रयोग | कार्बोनेट अयस्क के लिए प्रयोग |
| 3 | अयस्क ऑक्सीकरण होकर ऑक्साइड बनता है | अयस्क से जल व CO₂ निकलकर ऑक्साइड बनता है |
| 4 | अधिक तापमान की आवश्यकता | अपेक्षाकृत कम तापमान की आवश्यकता |
गालक (Flux)
वह पदार्थ जो भर्जित अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों के साथ मिलकर अश्लिष्ट पदार्थ (slag) बनाता है, गालक कहलाता है।
प्रगलन (Smelting)
धातु के ऑक्साइड को कोक या अन्य अवकरणकारी पदार्थों के साथ गर्म करके धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को प्रगलन कहा जाता है।
महत्वपूर्ण तत्व और उनके प्रमुख अयस्क
| तत्व (Metal) | अयस्क (Ore) |
| पारा (Hg) | सिनेबार (HgS), सिलेनाइड (HgSe) |
| ताँबा (Cu) | कॉपर ग्लांस (Cu₂S), कॉपर पायराइट्स (CuFeS₂) |
| जस्ता (Zn) | जिंक ब्लेंड (ZnS), कैलेमाइन (ZnCO₃) |
| मैंगनीज (Mn) | पाइरोलुसाइट (MnO₂) |
| लोहा (Fe) | हेमेटाइट (Fe₂O₃), मैग्नेटाइट (Fe₃O₄) |
ताँबा का अयस्क और निष्कर्षण
प्रमुख अयस्क: कॉपर ग्लांस (Cu₂S)
निष्कर्षण विधि: भर्जन विधि द्वारा कॉपर ग्लांस को ऑक्साइड (Cu₂O) में बदला जाता है, फिर अपचयन कर ताँबा (Cu) प्राप्त किया जाता है।
लोहा का अयस्क और निष्कर्षण
प्रमुख अयस्क: हेमेटाइट (Fe₂O₃)
निष्कर्षण विधि: कार्बन अपचयन विधि द्वारा।
हेमेटाइट अयस्क को पहले गुरुत्व पृथक्करण विधि से सांद्रित किया जाता है, फिर ब्लास्ट फर्नेस में कोक और चूना पत्थर के साथ गर्म कर लोहा प्राप्त किया जाता है।
जस्ता का अयस्क और निष्कर्षण
प्रमुख अयस्क: जिंक ब्लेंड (ZnS) और कैलेमाइन (ZnCO₃)
- जिंक ब्लेंड को भर्जन द्वारा ऑक्साइड में बदला जाता है।
- कैलेमाइन को निस्तापन द्वारा ऑक्साइड में बदला जाता है।
फिर इनसे अपचयन (reduction) द्वारा जस्ता (Zn) धातु प्राप्त की जाती है।
एल्युमिनियम का अयस्क और निष्कर्षण
प्रमुख अयस्क: बॉक्साइट (Al₂O₃·2H₂O)
निष्कर्षण विधि:
बॉक्साइट से एल्युमिनियम को हॉल-हेरॉल्ट (Hall-Heroult) विद्युत अपघटन विधि से प्राप्त किया जाता है।
इससे शुद्ध एल्युमिनियम धातु मिलती है, जो हल्की, तन्य एवं जंगरोधी होती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
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