Class 10th Chemistry Chapter 4 Notes in Hindi – कार्बन तथा उसके यौगिक (Carbon and its Compounds) के इस पोस्ट में हम आपको NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित, सरल, स्पष्ट और परीक्षा-उपयोगी संपूर्ण नोट्स प्रदान कर रहे हैं।
यह नोट्स विशेष रूप से CBSE, Bihar Board, UP Board तथा अन्य राज्य बोर्डों के हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए हैं, ताकि वे इस अध्याय के प्रत्येक सिद्धांत को सरल भाषा में समझ सकें और बोर्ड परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सकें।
इस अध्याय में हमने कार्बन के स्वरूप, समस्थानिक, कार्बन यौगिकों, श्रृंखलन (Catenation), प्रकार्यात्मक समूहों (Functional Groups), समावयवता (Isomerism) और रासायनिक अभिक्रियाओं जैसे – हाइड्रोजनीकरण, एस्टरीकरण, तथा साबुनीकरण को उदाहरणों सहित विस्तारपूर्वक समझाया है।
साथ ही, यहाँ आप सीखेंगे –
संतृप्त एवं असंतृप्त हाइड्रोकार्बन, एल्केन, एल्कीन, एल्काइन, ऐलिसाइक्लिक व एरोमैटिक यौगिकों के नामकरण (IUPAC Nomenclature), उनके सामान्य सूत्र, रासायनिक गुण, उपयोग और अंतर को भी।
हर विषय को सरल व्याख्या, रासायनिक समीकरणों, उदाहरणों, और मुख्य बिंदुओं (Key Points) के माध्यम से इस तरह समझाया गया है कि विद्यार्थी इसे आसानी से याद रख सकें और परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।
अगर आप Class 10th Chemistry Chapter 4 – कार्बन तथा उसके यौगिक (Carbon and its Compounds) को सबसे आसान भाषा में समझना चाहते हैं और Science में Full Marks प्राप्त करना चाहते हैं,
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Class 10th Chemistry Chapter 4 Notes in Hindi

कार्बन (Carbon)
किसी पदार्थ को जलाने पर जो काला ठोस अवशेष बचता है, उसे कार्बन कहते हैं।
कार्बन एक ठोस अधातु तत्व (Non-metal Element) है, जिसका रासायनिक संकेत C तथा परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass) 12 होता है।
प्रकृति में पाया जाने वाला कार्बन तीन समस्थानिकों (Isotopes) का मिश्रण है –
C-12, C-13, और C-14। इनमें C-12 सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है।
पृथ्वी की पपड़ी में कार्बन लगभग 0.02% पाया जाता है, जबकि वायुमंडल में यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के रूप में लगभग 0.03% तक उपस्थित रहता है।
प्रकृति में कार्बन दो अवस्थाओं में पाया जाता है —
- स्वतंत्र अवस्था (Free State) – हीरा (Diamond), ग्रेफाइट (Graphite) तथा कोयला (Coal)।
- संयुक्त अवस्था (Combined State) – धातुओं के कार्बोनेट व बाइकार्बोनेट, हाइड्रोकार्बन, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा वायुमंडलीय CO₂ के रूप में।
जीवों की मूल इकाई कोशिका (Cell) प्रोटीन (Protein) से बनी होती है, और प्रोटीन स्वयं एक कार्बनिक यौगिक है — अतः कहा जा सकता है कि जीवन का आधार कार्बन है।
कार्बन एक सार्वभौमिक तत्व क्यों कहलाता है?
प्रकृति में कार्बन और उसके यौगिक अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं तथा इनसे असंख्य प्रकार के रासायनिक यौगिक बनते हैं। इसी कारण कार्बन को “सार्वभौमिक तत्व (Universal Element)” कहा जाता है।
जैव शक्ति का सिद्धांत (Vital Force Theory)
रसायनज्ञ जे. जे. बेर्ज़िलियस (J.J. Berzelius) के अनुसार, कार्बन यौगिकों का निर्माण केवल जीवित प्राणियों में उपस्थित किसी विशेष शक्ति (Vital Force) के कारण संभव है। उनके मतानुसार यह शक्ति प्रयोगशाला में नहीं उत्पन्न की जा सकती, इसलिए कार्बनिक यौगिक (Organic Compounds) को कृत्रिम रूप से नहीं बनाया जा सकता।
लेकिन 1828 ई. में उनके ही शिष्य फ्रेडरिक वोहलर (Friedrich Wöhler) ने यह सिद्धांत गलत साबित कर दिया। उन्होंने अमोनियम साइनाइट (Ammonium Cyanate) से यूरिया (Urea) बनाकर यह सिद्ध किया कि कार्बनिक यौगिक प्रयोगशाला में भी बनाए जा सकते हैं।
रासायनिक बंधन (Chemical Bond)
वह रासायनिक बल जो किसी अणु में उपस्थित परमाणुओं को आपस में जोड़कर रखता है, रासायनिक बंधन (Chemical Bond) कहलाता है।
रासायनिक बंधन के प्रकार (Types of Chemical Bonds)
- वैद्युत संयोजक बंधन (Electrovalent or Ionic Bond)
जब एक परमाणु अपने एक या अधिक इलेक्ट्रॉन दूसरे परमाणु को दे देता है और इस इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण से धनायन (Cation) व ऋणायन (Anion) बनते हैं, तब उनके बीच बनने वाला बंधन वैद्युत संयोजक बंधन कहलाता है।
उदाहरण: NaCl (सोडियम क्लोराइड) का निर्माण। - सहसंयोजक बंधन (Covalent Bond)
जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रॉनों का साझा (Sharing) करके अपना बाह्य ऑक्टेट पूरा करते हैं, तो उनके बीच बनने वाला बंधन सहसंयोजक बंधन कहलाता है।
सहसंयोजक बंधन के प्रकार
- (i) एकल सहसंयोजक बंधन (Single Covalent Bond):
जब दो परमाणु केवल एक इलेक्ट्रॉन युग्म साझा करते हैं, तब बनने वाला बंधन एकल सहसंयोजक बंधन कहलाता है।
उदाहरण: H₂ का इलेक्ट्रॉनिक बिंदु सूत्र। - (ii) द्वि सहसंयोजक बंधन (Double Covalent Bond):
जब दोनों परमाणु दो-दो इलेक्ट्रॉनों के युग्म साझा करते हैं, तब बनने वाला बंधन द्वि सहसंयोजक बंधन कहलाता है।
उदाहरण: O₂ का इलेक्ट्रॉनिक बिंदु सूत्र। - (iii) त्रि सहसंयोजक बंधन (Triple Covalent Bond):
जब दोनों परमाणु तीन-तीन इलेक्ट्रॉनों के युग्म साझा करते हैं, तब बनने वाला बंधन त्रि सहसंयोजक बंधन कहलाता है।
उदाहरण: N₂ का इलेक्ट्रॉनिक बिंदु सूत्र।
श्रृंखलन या स्वबंधन (Catenation or Self-Linking)
कार्बन परमाणु में अपने ही समान अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ने की विशेष क्षमता होती है। इस गुण को श्रृंखलन (Catenation) कहा जाता है।
इस गुण के कारण कार्बन परमाणु आपस में जुड़कर सीधी (Straight Chain), शाखायुक्त (Branched Chain) तथा वृत्ताकार (Cyclic) श्रृंखलाएँ बनाते हैं। यही कारण है कि कार्बन लाखों प्रकार के यौगिक बनाने में सक्षम है।
कार्बन यौगिकों के सूत्र (Formulas of Carbon Compounds)
- आणविक सूत्र (Molecular Formula):
यह किसी कार्बनिक यौगिक के एक अणु में उपस्थित सभी तत्वों के परमाणुओं की संख्या दर्शाता है।
उदाहरण: मीथेन (Methane) का आणविक सूत्र CH₄ है। - इलेक्ट्रॉनिक सूत्र (Electronic Formula):
इसमें किसी अणु के परमाणुओं के बीच बने सहसंयोजक बंधनों को बिंदुओं (Dots) द्वारा दर्शाया जाता है।
उदाहरण: मीथेन –
C (6) = 2,4
H (1) = 1
इलेक्ट्रॉनिक सूत्र: CH₄ - संरचना सूत्र (Structural Formula):
किसी यौगिक में परमाणुओं की आपसी व्यवस्था को रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
उदाहरण: मीथेन का संरचना सूत्र –
H–C–H
| |
H H - युक्ति सूत्र (Condensed Formula):
संरचना सूत्र को संक्षिप्त रूप में दर्शाने वाले सूत्र को युक्ति सूत्र कहते हैं।
उदाहरण: एथेनॉल (C₂H₅OH)। - त्रिबिंब सूत्र (Spatial or 3D Formula):
जब संरचना सूत्र को त्रिविम (Three-dimensional) रूप में दर्शाया जाता है, तो उसे त्रिबिंब सूत्र कहा जाता है।
उदाहरण: मीथेन का त्रिबिंब सूत्र चारों ओर चतुष्फलकीय (Tetrahedral) संरचना को दर्शाता है।
कार्बन के यौगिक का नाम – साधारण नाम तथा IUPAC नाम (Common & IUPAC Names of Carbon Compounds)
IUPAC का पूर्ण रूप है – International Union of Pure and Applied Chemistry।
यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो रासायनिक यौगिकों के नामकरण (Nomenclature) के लिए नियम निर्धारित करता है ताकि किसी भी यौगिक की संरचना को उसके नाम से आसानी से समझा जा सके।
हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbon)
वे यौगिक जो केवल कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) तत्वों से मिलकर बने होते हैं, हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbon) कहलाते हैं।
इन यौगिकों के अध्ययन से हमें पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और जैविक ईंधनों की रासायनिक संरचना को समझने में सहायता मिलती है।
हाइड्रोकार्बन के प्रकार (Types of Hydrocarbons)
हाइड्रोकार्बन को उनके बंधों की प्रकृति के आधार पर मुख्यतः तीन प्रकारों में बाँटा गया है —
- संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbon / Alkane)
- असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbon – Alkene, Alkyne)
- ऐलिसाइक्लिक एवं एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Alicyclic and Aromatic Hydrocarbons)
1. संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated Hydrocarbon / Alkane)
वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल बंधन (Single Bond) होते हैं और प्रत्येक कार्बन परमाणु की चारों संयोजकताएँ पूरी तरह हाइड्रोजन या अन्य कार्बन से जुड़ी रहती हैं, संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ₊₂
🔹 प्रथम सदस्य: मीथेन (CH₄)
🔹 नामकरण में प्रत्यय (Suffix): “–एन (–ane)” जोड़ा जाता है।
उदाहरण:
CH₄ – मीथेन (Methane)
C₂H₆ – एथेन (Ethane)
C₃H₈ – प्रोपेन (Propane)
C₄H₁₀ – ब्यूटेन (Butane)
मूल शब्द (Root Words)
| कार्बन परमाणुओं की संख्या | मूल शब्द (Root Word) |
| 1 | मेथ (Meth) |
| 2 | एथ (Eth) |
| 3 | प्रोप (Prop) |
| 4 | ब्युट (But) |
| 5 | पेन्ट (Pent) |
| 6 | हेक्स (Hex) |
| 7 | हेप्ट (Hept) |
| 8 | ऑक्ट (Oct) |
| 9 | नॉन (Non) |
| 10 | डेक (Dec) |
2. असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated Hydrocarbon)
वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन परमाणुओं के बीच एक या अधिक द्वि (Double) अथवा त्रि (Triple) बंधन उपस्थित होते हैं, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।
इनमें हाइड्रोजन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है और ये संतृप्त यौगिकों की तुलना में अधिक अभिक्रियाशील (Reactive) होते हैं।
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन दो प्रकार के होते हैं —
(A) एल्कीन (Alkene)
वे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच द्वि बंधन (Double Bond) उपस्थित होता है, एल्कीन कहलाते हैं।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ
🔹 नामकरण में प्रत्यय: “–इन (–ene)”
🔹 प्रथम सदस्य: एथीन (Ethene, C₂H₄)
एथीन के उपयोग:
- कच्चे फलों को पकाने में।
- “रिपनिंग गैस” के रूप में।
- युद्ध गैस निर्माण में।
- कुछ शल्य चिकित्सा (Surgical) औषधियों में सुन्न करने के लिए।
विशेषता: एथीन गैस रंगहीन, हल्की और मिट्टी जैसी गंध वाली होती है। अधिक मात्रा में सूंघने से बेहोशी आ सकती है।
(B) एल्काइन (Alkyne)
वे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच त्रि बंधन (Triple Bond) उपस्थित होता है, एल्काइन कहलाते हैं।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ₋₂
🔹 नामकरण में प्रत्यय: “–आइन (–yne)”
🔹 प्रथम सदस्य: एथाइन (Ethyne / Acetylene, C₂H₂)
एथाइन का उपयोग:
एथाइन ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलकर ऑक्सी–एसीटिलीन ज्वाला (Oxy-Acetylene Flame) उत्पन्न करता है, जिसका प्रयोग धातुओं की वेल्डिंग (Welding) और कटिंग (Cutting) में किया जाता है।
3. संतृप्त एवं असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में अंतर
| क्रम | आधार | संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Alkane) | असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Alkene / Alkyne) |
| 1 | बंध का प्रकार | केवल एकल बंधन | द्वि या त्रि बंधन उपस्थित |
| 2 | सामान्य सूत्र | CₙH₂ₙ₊₂ | CₙH₂ₙ (एल्कीन), CₙH₂ₙ₋₂ (एल्काइन) |
| 3 | अभिक्रियाशीलता | कम | अधिक |
| 4 | उदाहरण | मीथेन, एथेन | एथीन, एथाइन |
| 5 | नामकरण | “–एन” प्रत्यय | “–इन” या “–आइन” प्रत्यय |
4. ऐलिसाइक्लिक हाइड्रोकार्बन (Alicyclic Hydrocarbon)
वे कार्बनिक यौगिक जिनकी संरचना में कार्बन परमाणु वलयाकार (Ring) रूप में जुड़े रहते हैं, परंतु उनके गुण संतृप्त या असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों से मिलते-जुलते हैं, ऐलिसाइक्लिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।
🔹 सामान्य सूत्र:
- संतृप्त ऐलिसाइक्लिक: CₙH₂ₙ
- असंतृप्त ऐलिसाइक्लिक: CₙH₂ₙ₋₂
नामकरण नियम: मूल शब्द के पहले “साइक्लो (Cyclo)” जोड़ा जाता है, और अंत में “–एन” या “–इन” लगाया जाता है।
उदाहरण:
- साइक्लोप्रोपेन (Cyclopropane) – C₃H₆
- साइक्लोप्रोपीन (Cyclopropene) – C₃H₄
5. एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Aromatic Hydrocarbon)
वे हाइड्रोकार्बन जिनमें कम से कम छह कार्बन परमाणु एक बंद वलय (Ring) में उपस्थित रहते हैं और उनमें एक के बाद एक एकल व द्वि बंधन (Alternate Single and Double Bonds) होते हैं, एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ₋₆
🔹 प्रथम सदस्य: बेंजीन (Benzene, C₆H₆)
बेंजीन के गुण:
- रंगहीन तरल।
- ज्वलनशील और सुगंधित गंध वाली।
- रासायनिक दृष्टि से अत्यंत स्थिर।
- इसका उपयोग रंग, दवा, डिटर्जेंट, और प्लास्टिक उद्योग में होता है।
समावयवता (Isomerism)
वे विभिन्न कार्बनिक यौगिक (Organic Compounds) जिनका आणविक सूत्र (Molecular Formula) समान होता है, लेकिन उनके संरचना सूत्र (Structural Formula) अलग-अलग होते हैं, उन्हें समावयव (Isomers) कहा जाता है, और इस गुण को समावयवता (Isomerism) कहते हैं।
🔹 उदाहरण –
C₂H₆O आणविक सूत्र वाले दो यौगिक हैं:
- एथेनॉल (CH₃CH₂OH) – एक एल्कोहल
- डाइमिथाइल ईथर (CH₃OCH₃) – एक ईथर
दोनों का आणविक सूत्र समान है, पर संरचना भिन्न है, इसलिए ये समावयव हैं।
प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group)
किसी कार्बन यौगिक में उपस्थित वह विशिष्ट परमाणु या परमाणुओं का समूह, जिसके कारण उस यौगिक के भौतिक और रासायनिक गुण निर्धारित होते हैं, प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group) कहलाता है।
| प्रकार्यात्मक समूह | सूत्र | यौगिक का प्रकार |
| हाइड्रॉक्सिल | –OH | एल्कोहल (Alcohol) |
| एल्डिहाइड | –CHO | एल्डिहाइड |
| किटोन / कार्बोनिल | =CO | किटोन |
| कार्बोक्सिलिक अम्ल | –COOH | अम्ल (Acid) |
| एमीनो | –NH₂ | अमीन यौगिक |
| नाइट्रो | –NO₂ | नाइट्रो यौगिक |
एल्कोहल या हाइड्रॉक्सिल यौगिक (Alcohol / Hydroxyl Group)
एल्कोहल श्रेणी के यौगिकों में अंत में –OH (हाइड्रॉक्सिल समूह) जुड़ा रहता है।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ₊₁OH
🔹 नामकरण: मूल शब्द के अंत में –एनॉल (–anol) जोड़ा जाता है।
🔹 प्रथम सदस्य: मेथेनॉल (CH₃OH)
एल्कोहल के उपयोग:
- बियर, वाइन, व्हिस्की आदि में मुख्य घटक।
- विलायक (Solvent) के रूप में औद्योगिक उपयोग।
- रोगाणु रहित (Disinfectant) करने में।
- ईंधन (Fuel) एवं रेडिएटर द्रव के रूप में ठंडे देशों में।
- थर्मामीटर व स्पिरिट लेम्प में उपयोग।
- नमूनों के संरक्षण में (Dead specimens)।
एल्डिहाइड (Aldehyde)
एल्डिहाइड श्रेणी के यौगिकों में अंतिम में –CHO समूह जुड़ा रहता है।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ₊₁CHO
🔹 नामकरण: मूल शब्द के अंत में –एनल (–anal) जोड़ा जाता है।
🔹 प्रथम सदस्य: मेथेनल (Formaldehyde, HCHO)
उपयोग:
- कृत्रिम रेज़िन, प्लास्टिक, और औषधियों के निर्माण में।
किटोन या कार्बोनिल यौगिक (Ketone / Carbonyl Group)
किटोन यौगिकों में मध्य में =CO समूह जुड़ा रहता है।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ₊₁CO
🔹 नामकरण: मूल शब्द के अंत में –एनोन (–anone) जोड़ा जाता है।
🔹 प्रथम सदस्य: प्रोपेनोन (एसीटोन, CH₃COCH₃)
विशेष नियम:
- यदि nnn सम संख्या हो, तो दोनों ओर समान संख्या में कार्बन रखे जाते हैं।
- यदि nnn विषम हो, तो बाईं ओर एक और बाकी कार्बन दाईं ओर रखे जाते हैं।
उपयोग:
- नेल पॉलिश रिमूवर, पेंट, और औद्योगिक विलायक के रूप में।
कार्बोक्सिलिक अम्ल (Carboxylic Acid)
इस श्रेणी के यौगिकों में अंतिम में –COOH (कार्बोक्सिल समूह) जुड़ा रहता है।
🔹 सामान्य सूत्र: CₙH₂ₙ₊₁COOH
🔹 नामकरण: मूल शब्द के अंत में –एनॉइक अम्ल (–anoic acid) जोड़ा जाता है।
🔹 प्रथम सदस्य: मेथेनॉइक अम्ल (Formic Acid, HCOOH)
उदाहरण:
- एथेनॉइक अम्ल (CH₃COOH) – सिरके का मुख्य घटक।
समजातीय श्रेणी (Homologous Series)
ऐसी कार्बनिक श्रृंखला जिसके सभी सदस्यों में –
1️⃣ एक समान प्रकार्यात्मक समूह हो, और
2️⃣ दो क्रमागत सदस्यों के आणविक सूत्रों में –CH₂ का अंतर हो,
उसे समजातीय श्रेणी (Homologous Series) कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
एल्केन श्रृंखला:
CH₄ (मीथेन), C₂H₆ (एथेन), C₃H₈ (प्रोपेन), …
यहाँ प्रत्येक अगले सदस्य में –CH₂– का अंतर है।
संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction)
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी असंतृप्त कार्बन यौगिक में अन्य तत्व या यौगिक जुड़ जाते हैं, संकलन अभिक्रिया (Addition Reaction) कहलाती है।
हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation Reaction)
जब किसी असंतृप्त यौगिक (जैसे तेल) में हाइड्रोजन (H₂) जोड़ा जाता है और वह अभिक्रिया उत्प्रेरक (Nickel या Palladium) की उपस्थिति में होती है, तो इसे हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
वनस्पति तेल + H₂ → वनस्पति घी
(यह प्रक्रिया वसा के कठोरीकरण (Hardening of Oils) में प्रयुक्त होती है)
एस्टीकरण अभिक्रिया (Esterification Reaction)
जब कार्बोक्सिलिक अम्ल किसी एल्कोहल के साथ अभिक्रिया करता है, तो एस्टर (Ester) तथा पानी (H₂O) बनता है।
🔹 उदाहरण:
एथेनॉइक अम्ल + एथेनॉल → एथाइल एसीटेट (Ester) + H₂O
एस्टर के उपयोग:
- फूलों और फलों में प्राकृतिक सुगंध का कारण।
- कृत्रिम इत्र, परफ्यूम, और फ्लेवर बनाने में प्रयोग।
- कुछ दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग।
साबुनीकरण अभिक्रिया (Saponification Reaction)
जब एस्टर किसी अम्ल या क्षार की उपस्थिति में पुनः अभिक्रिया करके कार्बोक्सिलिक अम्ल और एल्कोहल बनाता है, तो इस प्रक्रिया को साबुनीकरण (Saponification) कहते हैं।
🔹 उदाहरण:
Ester + NaOH → Sodium Salt of Acid (Soap) + Alcohol
साबुन (Soap)
लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्ल या वसा अम्लों के सोडियम (Na) या पोटैशियम (K) लवणों को साबुन (Soap) कहा जाता है।
🔹 उदाहरण:
- सोडियम स्टीयरेट – C₁₇H₃₅COONa
- सोडियम पामिटेट – C₁₅H₃₁COONa
अच्छे साबुन की विशेषताएँ
- अल्कोहल में घुलनशील होता है।
- इसमें नमी (Moisture) की मात्रा 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- उपयोग के समय आसानी से टूटता या चिपकता नहीं है।
- उपयोग के बाद सूखने पर भी अपना आकार बनाए रखता है।
- NaOH से बना साबुन कठोर (Hard Soap) होता है, जबकि KOH से बना साबुन मुलायम (Soft Soap) होता है।
अपमार्जक (Detergents)
लंबी श्रृंखला वाले कार्बोक्सिलिक अम्लों के अमोनियम तथा सल्फोनेट लवणों को अपमार्जक कहा जाता है। ये जल में घुलनशील होते हैं और वस्त्रों तथा अन्य सतहों की सफाई के लिए उपयोग किए जाते हैं।
उदाहरण:
सोडियम सिटाइल सल्फेट – C₁₆H₃₃OSO₃Na
अपमार्जक का उपयोग
अपमार्जकों का उपयोग निम्न उत्पादों के निर्माण में किया जाता है:
- शैंपू
- वाशिंग पाउडर (जैसे सर्फ, टाइड, एरियल, निरमा, व्हील आदि)
- अन्य कपड़ा धोने वाले एवं सफाई उत्पाद
अपमार्जक ने साबुन का स्थान क्यों लिया? (Why Detergents Replaced Soap?)
अपमार्जकों के निम्न गुणों के कारण इन्होंने साबुन का स्थान ले लिया —
| आधार | अपमार्जक (Detergent) | साबुन (Soap) |
| कठोर जल में झाग | कठोर जल में भी पर्याप्त झाग बनाता है | कठोर जल में झाग नहीं बनाता |
| साफ करने की क्षमता | अधिक सफाई क्षमता | कम सफाई क्षमता |
| जल में घुलनशीलता | अधिक घुलनशीलता | कम घुलनशीलता |
| निर्माण का स्रोत | कोयला व पेट्रोलियम से प्राप्त हाइड्रोकार्बन | वनस्पति तेल या जंतु वसा से |
| घोल का pH | जलीय घोल उदासीन | जलीय घोल क्षारीय |
| नमी प्रतिधारण | नमी बनाए रखने की क्षमता अधिक | नमी प्रतिधारण कम |
| कठोर जल में प्रभाव | कठोर जल में भी प्रभावी | कठोर जल में कम प्रभावी |
निष्कर्ष (Conclusion):
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